Avoid These 10 Mistakes While Buying Health Insurance: Keep Your Financial Health Secure

Robin Talks Finance

हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) आज के समय में हर परिवार की जरूरत है। यह आपको और आपके प्रियजनों को अप्रत्याशित मेडिकल खर्चों से बचाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि गलत पॉलिसी चुनने से आपका लाखों रुपये का नुकसान हो सकता है? कई बार लोग ऐसी छोटी-छोटी गलतियां करते हैं, जिनके कारण उनका क्लेम रिजेक्ट हो जाता है या उन्हें पूरा पैसा नहीं मिलता।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए अनिल को अचानक हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। उनका बिल 7 लाख रुपये का आया, और उनके पास 10 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस था। लेकिन रूम रेंट कैपिंग (Room Rent Capping) और को-पेमेंट (Co-Payment) की शर्तों के कारण उन्हें सिर्फ 3 लाख रुपये मिले। बाकी 4 लाख रुपये उनकी जेब से गए। ऐसी स्थिति से बचने के लिए, इस ब्लॉग में हम आपको हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय की जाने वाली 10 आम गलतियों और उनसे बचने के तरीकों के बारे में बताएंगे। आइए, अपनी फाइनेंस हेल्थ (Financial Health) को सुरक्षित करने की दिशा में पहला कदम उठाते हैं!


हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय इन 10 गलतियों से बचें अपनी फाइनेंस हेल्थ को रखें सुरक्षित


. रूम रेंट कैपिंग को नजरअंदाज करना

रूम रेंट कैपिंग (Room Rent Capping) का मतलब है कि इंश्योरेंस कंपनी आपके हॉस्पिटल रूम के किराए पर एक निश्चित सीमा तय करती है। अगर आप इससे महंगा रूम चुनते हैं, तो अतिरिक्त खर्च आपको खुद देना होगा। इसके अलावा, कई पॉलिसी में प्रोपोर्शनेट डिडक्शन (Proportionate Deduction) लागू होता है, जिसका मतलब है कि रूम रेंट की सीमा के आधार पर अन्य खर्चे (जैसे सर्जरी, टेस्ट, डॉक्टर की फीस) भी कम कवर किए जाते हैं।

प्रोपोर्शनेट डिडक्शन क्या है?

प्रोपोर्शनेट डिडक्शन एक ऐसी शर्त है, जिसमें रूम रेंट की सीमा के अनुपात में बाकी मेडिकल खर्च भी कम किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपकी पॉलिसी में रूम रेंट की सीमा 5,000 रुपये प्रतिदिन है, लेकिन आप 10,000 रुपये का रूम लेते हैं, तो सिर्फ 50% खर्च कवर होगा। इसका असर सर्जरी, टेस्ट, और अन्य खर्चों पर भी पड़ेगा।

  • उदाहरण: रमेश ने 10,000 रुपये प्रतिदिन का रूम लिया, लेकिन उनकी पॉलिसी में रूम रेंट कैपिंग 5,000 रुपये थी। उनकी हार्ट सर्जरी का खर्च 3 लाख रुपये था, लेकिन प्रोपोर्शनेट डिडक्शन के कारण उन्हें सिर्फ 1.5 लाख रुपये मिले। बाकी 1.5 लाख रुपये उन्हें खुद देने पड़े।
  • समाधान: ऐसी पॉलिसी चुनें, जिसमें रूम रेंट पर कोई कैपिंग न हो। इससे आप अपनी पसंद का रूम चुन सकते हैं, और पूरा खर्च कवर होगा।

2. को-पेमेंट की शर्त को अनदेखा करना

को-पेमेंट (Co-Payment) वह हिस्सा है, जो आपको अपनी जेब से देना पड़ता है, भले ही आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस हो। उदाहरण के लिए, अगर आपकी पॉलिसी में 20% को-पे है और हॉस्पिटल बिल 5 लाख रुपये का है, तो आपको 1 लाख रुपये खुद देने होंगे।

  • उदाहरण: शालिनी की पॉलिसी में 25% को-पे था। उनके हॉस्पिटल बिल का 75% ही इंश्योरेंस कंपनी ने कवर किया, और बाकी 25% (1.25 लाख रुपये) उन्हें खुद देना पड़ा।
  • समाधान: ऐसी पॉलिसी चुनें, जिसमें को-पेमेंट शर्त न हो या बहुत कम हो। पॉलिसी खरीदने से पहले एजेंट से स्पष्ट पूछें कि को-पे कितना है।

3. डिजीज-वाइज सब-लिमिट स्वीकार करना

डिजीज-वाइज सब-लिमिट (Disease-Wise Sub-Limit) का मतलब है कि कुछ खास बीमारियों (जैसे हार्ट सर्जरी, कैंसर) के लिए इंश्योरेंस कवर की एक निश्चित सीमा होती है। अगर आपका बिल इस सीमा से ज्यादा है, तो बाकी राशि आपको खुद देनी पड़ेगी।

  • उदाहरण: संजय के पास 12 लाख की पॉलिसी थी, लेकिन कैंसर ट्रीटमेंट के लिए सब-लिमिट 3 लाख थी। उनके 6 लाख के बिल में सिर्फ 3 लाख कवर हुए, और बाकी 3 लाख उन्हें खुद देने पड़े।
  • समाधान: ऐसी पॉलिसी चुनें, जिसमें डिजीज-वाइज सब-लिमिट न हो। अगर आप युवा हैं, तो इस शर्त को बिल्कुल स्वीकार न करें।

4. प्री और पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन कवर की कमी

प्री-हॉस्पिटलाइजेशन (Pre-Hospitalization) और पोस्ट-हॉस्पिटलाइजेशन (Post-Hospitalization) कवर में हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले और बाद के खर्च शामिल होते हैं, जैसे डायग्नोस्टिक टेस्ट, दवाइयां, और नर्सिंग के खर्च। कई लोग इस कवर को नजरअंदाज करते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।

  • उदाहरण: ममता को सर्जरी से पहले कई टेस्ट कराने पड़े, जिनका खर्च 40,000 रुपये था। उनकी पॉलिसी में प्री-हॉस्पिटलाइजेशन कवर नहीं था, इसलिए यह खर्च उन्हें खुद देना पड़ा।
  • समाधान: कम से कम 60 दिन का प्री-हॉस्पिटलाइजेशन और 180 दिन का पोस्ट-हॉस्पिटलाइजेशन कवर वाली पॉलिसी चुनें।

5. लंबे वेटिंग पीरियड को अनदेखा करना

वेटिंग पीरियड (Waiting Period) वह समय है, जिसके बाद आपकी पॉलिसी कुछ खास बीमारियों या इलाज के लिए लागू होती है। कई पॉलिसी में यह 2-4 साल तक हो सकता है, खासकर प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज (Pre-Existing Disease) जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, घुटनों की समस्या, या थायरॉइड जैसी बीमारियों के लिए। अगर इस दौरान आपको इलाज की जरूरत पड़ती है, तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

वेटिंग पीरियड क्यों होता है?
इंश्योरेंस कंपनियां प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज या क्रिटिकल इलनेस (जैसे कैंसर, हार्ट डिजीज, किडनी प्रॉब्लम) के लिए वेटिंग पीरियड तय करती हैं ताकि तुरंत बड़े क्लेम से बचा जा सके। उदाहरण के लिए, अगर आपको पहले से डायबिटीज है, तो पॉलिसी लेने के बाद 2-3 साल तक डायबिटीज से जुड़े इलाज का क्लेम नहीं मिलेगा।

  • उदाहरण: रवि को थायरॉइड की समस्या थी, और उनकी पॉलिसी में 4 साल का वेटिंग पीरियड था। 3 साल बाद उन्हें थायरॉइड सर्जरी की जरूरत पड़ी, लेकिन क्लेम रिजेक्ट हो गया।
  • समाधान: कम से कम वेटिंग पीरियड वाली पॉलिसी चुनें। अगर आपके पास प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, या जोड़ों का दर्द है, तो इसे पॉलिसी लेने से पहले स्पष्ट करें।

6. क्रिटिकल इलनेस कवर की अनदेखी

क्रिटिकल इलनेस (Critical Illness) कवर गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, या किडनी फेल्योर के लिए होता है। कई पॉलिसी में यह कवर शामिल नहीं होता, या इसका वेटिंग पीरियड 90 दिन से 2 साल तक हो सकता है।

  • उदाहरण: नीलम को स्ट्रोक का इलाज कराना पड़ा, जिसका खर्च 8 लाख रुपये था। उनकी पॉलिसी में क्रिटिकल इलनेस कवर नहीं था, इसलिए उन्हें पूरा खर्च खुद देना पड़ा।
  • समाधान: क्रिटिकल इलनेस कवर जरूर लें, और सुनिश्चित करें कि इसका वेटिंग पीरियड 90 दिन से ज्यादा न हो।

7. मैटरनिटी और न्यूबॉर्न कवर को नजरअंदाज करना

मैटरनिटी कवर (Maternity Cover) प्रसव (डिलीवरी) से जुड़े खर्चों को कवर करता है, जैसे सामान्य डिलीवरी, सिजेरियन डिलीवरी, और इससे जुड़े टेस्ट। न्यूबॉर्न कवर (Newborn Cover) नवजात शिशु के जन्म से लेकर पहले 90 दिन तक के मेडिकल खर्च, जैसे वैक्सीनेशन और नर्सरी केयर, को कवर करता है। कई पॉलिसी में यह कवर नहीं होता, या इसका वेटिंग पीरियड 2-4 साल तक होता है।

  • उदाहरण: रीना ने शादी के बाद हेल्थ इंश्योरेंस लिया, लेकिन मैटरनिटी कवर का वेटिंग पीरियड 3 साल था। सिजेरियन डिलीवरी का 1.8 लाख का खर्च उन्हें खुद देना पड़ा, और नवजात शिशु की देखभाल का खर्च भी कवर नहीं हुआ।
  • समाधान: शादी के तुरंत बाद मैटरनिटी और न्यूबॉर्न कवर वाली पॉलिसी लें, जिसमें वेटिंग पीरियड 9 महीने हो।

8. डे-केयर ट्रीटमेंट को छोड़ देना

डे-केयर ट्रीटमेंट (Day-Care Treatment) में वे प्रक्रियाएं शामिल होती हैं, जिनमें हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें कैटरेक्ट सर्जरी, एंजियोप्लास्टी, अपेंडिसाइटिस सर्जरी, कीमोथेरेपी, और डायलिसिस जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। कई पॉलिसी में यह कवर नहीं होता।

  • उदाहरण: अजय को कैटरेक्ट सर्जरी के लिए 70,000 रुपये खर्च करने पड़े, लेकिन उनकी पॉलिसी में डे-केयर कवर नहीं था, इसलिए क्लेम रिजेक्ट हो गया।
  • समाधान: सुनिश्चित करें कि आपकी पॉलिसी में डे-केयर ट्रीटमेंट जैसे कैटरेक्ट, एंजियोप्लास्टी, और कीमोथेरेपी शामिल हों।

9. ओपीडी कवर की अनदेखी

ओपीडी कवर (Out-Patient Department Cover) में छोटे-मोटे मेडिकल खर्च शामिल होते हैं, जैसे डॉक्टर कंसल्टेशन, डायग्नोस्टिक टेस्ट, और प्रिस्क्रिप्शन दवाइयां। कई लोग इसे शामिल नहीं करते, जिससे सालाना 20,000-30,000 रुपये का खर्च जेब से जाता है।

  • उदाहरण: पूजा को बार-बार बुखार के लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ा। उनके टेस्ट और दवाइयों का खर्च 25,000 रुपये हुआ, जो उनकी पॉलिसी में ओपीडी कवर न होने के कारण कवर नहीं हुआ।
  • समाधान: ऐसी पॉलिसी चुनें, जिसमें ओपीडी कवर शामिल हो, खासकर अगर आप नियमित रूप से छोटे-मोटे इलाज कराते हैं।

10. कैशलेस हॉस्पिटल नेटवर्क की जांच न करना

कैशलेस फैसिलिटी (Cashless Facility) वह सुविधा है, जिसमें इंश्योरेंस कंपनी सीधे हॉस्पिटल को भुगतान करती है। अगर आपकी पॉलिसी में कैशलेस नेटवर्क छोटा है, तो आपको पहले बिल भरना पड़ सकता है और फिर रीइंबर्समेंट के लिए इंतजार करना होगा।

  • उदाहरण: राकेश का हॉस्पिटल उनकी पॉलिसी के कैशलेस नेटवर्क में नहीं था। उन्हें 4 लाख का बिल पहले भरना पड़ा और रीइंबर्समेंट में 3 महीने लग गए।
  • समाधान: ऐसी पॉलिसी चुनें, जिसमें बड़ा कैशलेस हॉस्पिटल नेटवर्क हो, जैसे आदित्य बिरला एक्टिव (Aditya Birla Active Health Insurance) या एचडीएफसी अर्गो (HDFC Ergo Health Insurance)

प्रमुख हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की तुलना

नीचे दी गई तालिका में कुछ लोकप्रिय हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की विशेषताओं की तुलना की गई है, ताकि आप अपनी जरूरतों के हिसाब से सही पॉलिसी चुन सकें:


हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय इन 10 गलतियों से बचें अपनी फाइनेंस हेल्थ को रखें सुरक्षित

निष्कर्ष और अगला कदम

हेल्थ इंश्योरेंस आपकी फाइनेंस हेल्थ को सुरक्षित रखने का एक मजबूत आधार है। लेकिन सही पॉलिसी चुनना उतना ही जरूरी है। ऊपर बताई गई 10 गलतियों से बचकर आप अपने क्लेम को सुनिश्चित कर सकते हैं और अप्रत्याशित खर्चों से बच सकते हैं।

अगला कदम:

  • अपनी जरूरतों के हिसाब से पॉलिसी की तुलना करें।
  • ऑनलाइन लोन आवेदन (Online Loan Application) या इंश्योरेंस पोर्टल्स पर मुफ्त सलाह लें।
  • हमारी वेबसाइट पर पर्सनल लोन (Personal Loan), क्रेडिट स्कोर (Credit Score), और ईएमआई (Equated Monthly Installment) से जुड़े ब्लॉग पढ़ें।

डिस्क्लेमर

यह ब्लॉग केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से पहले अपनी जरूरतों, बजट, और पॉलिसी की शर्तों को ध्यान से जांच लें। किसी भी वित्तीय निर्णय के लिए प्रमाणित वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। हम किसी भी इंश्योरेंस कंपनी या प्रोडक्ट का प्रचार नहीं कर रहे हैं। अपनी जोखिम पर निर्णय लें।

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