Avoid These 5 Big Mistakes While Buying Health Insurance in 2025

Robin Talks Finance

हेल्थ इंश्योरेंस आज की तारीख में हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। लेकिन गलत पॉलिसी चुनने से आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है, पॉलिसी कैंसिल हो सकती है, या आपकी जरूरतें पूरी नहीं होंगी। इस ब्लॉग में हम आपको हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय की जाने वाली 5 सबसे बड़ी गलतियां बताएंगे और यह भी समझाएंगे कि इनसे कैसे बचा जाए। चाहे आप पहली बार पॉलिसी ले रहे हों या पुरानी रिन्यू कर रहे हों, ये टिप्स आपकी फाइनेंस हेल्थ को मजबूत करेंगे। आखिरी गलती सबसे महत्वपूर्ण है, जो आपको लाखों का नुकसान पहुंचा सकती है। तो चलिए शुरू करते हैं!


2025 में हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय इन 5 बड़ी गलतियों से बचें


1. सिर्फ सबसे सस्ती पॉलिसी चुनना

कई लोग हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय सिर्फ प्रीमियम की कीमत देखते हैं और सबसे सस्ती पॉलिसी चुन लेते हैं। लेकिन सस्ती पॉलिसी हमेशा अच्छी नहीं होती।

क्यों है यह गलती?

  • सस्ती पॉलिसी में कॉम्प्रिहेंसिव कवरेज की कमी हो सकती है।

  • कुछ बीमारियां या ट्रीटमेंट (जैसे स्पेशल प्रोसीजर्स) कवर नहीं होते।

  • कैपिंग्स (जैसे रूम रेंट या ट्रीटमेंट लिमिट) और सब-लिमिट्स हो सकते हैं, जिसके कारण क्लेम के समय आपको अपनी जेब से पैसा देना पड़ सकता है।

  • क्लेम के समय पता चलता है कि पॉलिसी आपकी जरूरतों को पूरा नहीं करती।

उदाहरण

मान लीजिए, आपने एक सस्ती पॉलिसी ली जिसमें रूम रेंट की लिमिट 5,000 रुपये प्रतिदिन है। हॉस्पिटल में सिंगल रूम का किराया 15,000 रुपये है। इस स्थिति में आपको हर दिन 10,000 रुपये अपनी जेब से देने होंगे।

क्या करें?

  • पॉलिसी के टर्म्स और कंडीशन्स को ध्यान से पढ़ें।

  • ऐसी पॉलिसी चुनें जो कॉम्प्रिहेंसिव कवरेज दे।

  • प्रीमियम के साथ-साथ कवरेज की गुणवत्ता पर ध्यान दें।

  • सुनिश्चित करें कि पॉलिसी में जरूरी ट्रीटमेंट और सुविधाएं शामिल हों।

2. अपर्याप्त सम एश्योर्ड चुनना

कई लोग 3 लाख या 5 लाख की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं, जो आज के समय में बिल्कुल नाकाफी है। मेडिकल इनफ्लेशन की दर 14% है, जिसका मतलब है कि हर 6-7 साल में ट्रीटमेंट की लागत दोगुनी हो रही है।

क्यों है यह गलती?

  • 3-5 लाख का कवर गंभीर बीमारियों (जैसे हार्ट सर्जरी, कैंसर) के लिए पर्याप्त नहीं है।

  • अगर ट्रीटमेंट की लागत ज्यादा हुई, तो आपको अपनी जेब से लाखों रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं।

  • छोटा कवर लेना “कुछ न होने से बेहतर” नहीं है; यह बेकार हो सकता है।

मेडिकल इनफ्लेशन का प्रभाव

नीचे दी गई टेबल से समझें कि भविष्य में ट्रीटमेंट की लागत कितनी बढ़ सकती है:


2025 में हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय इन 5 बड़ी गलतियों से बचें


नोट: जोन 1 में दिल्ली, मुंबई, गुजरात जैसे महंगे शहर शामिल हैं। जोन 2 में अन्य शहर।

उदाहरण

अगर आप आज 5 लाख की पॉलिसी लेते हैं, तो 2033 में यह हार्ट ट्रीटमेंट की लागत (14 लाख) को कवर नहीं कर पाएगी। आपको अपनी जेब से 9 लाख रुपये देने होंगे।

क्या करें?

  • कम से कम 10-20 लाख का बेस सम एश्योर्ड चुनें।

  • सुपर टॉप-अप पॉलिसी लें, जो बड़े खर्चों के लिए बैकअप का काम करे।

  • अगर बेस सम एश्योर्ड ज्यादा है, तब भी सुपर टॉप-अप जोड़ें।

  • भविष्य की मेडिकल जरूरतों को ध्यान में रखकर पॉलिसी चुनें।

3. प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज (PED) छुपाना

कई लोग अपनी पुरानी बीमारियों (जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन) को इंश्योरेंस कंपनी से छुपाते हैं, ताकि प्रीमियम कम हो। यह बहुत बड़ी गलती है।

क्यों है यह गलती?

  • इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम के समय PED का पता चल जाता है, जिससे क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

  • परिवार के लोग अनजाने में बता सकते हैं कि बीमारी पहले से थी।

  • अगर आपने 10 साल तक प्रीमियम भरा और क्लेम रिजेक्ट हुआ, तो आपका सारा पैसा और समय बर्बाद हो जाएगा।

  • PED छुपाने से नई पॉलिसी मिलना भी मुश्किल हो सकता है।

उदाहरण

रमेश जी ने अपनी डायबिटीज की जानकारी छुपाकर 10 लाख की पॉलिसी ली। हार्ट सर्जरी के लिए क्लेम करने पर कंपनी ने पता लगाया कि डायबिटीज पहले से थी, और क्लेम रिजेक्ट कर दिया।

क्या करें?

  • अपनी सभी प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज को खुलकर बताएं।

  • मोरेटोरियम बेनिफिट (3-4 साल बाद PED कवर होने का लाभ) पर भरोसा न करें।

  • अगर कोई कहता है कि PED छुपाने से क्लेम मिल जाएगा, तो उनकी बात न मानें।

  • ईमानदारी से जानकारी दें, ताकि क्लेम के समय परेशानी न हो।

4. को-पेमेंट, सब-लिमिट्स और रूम रेंट रिस्ट्रिक्शंस चेक न करना

पॉलिसी लेते समय कई लोग को-पेमेंट, सब-लिमिट्स, और रूम रेंट रिस्ट्रिक्शंस को चेक नहीं करते। यह गलती क्लेम के समय भारी पड़ सकती है।

क्यों है यह गलती?

  • को-पेमेंट: कुछ पॉलिसी में आपको क्लेम का 10-20% हिस्सा अपनी जेब से देना पड़ता है।

  • रूम रेंट लिमिट: अगर रूम रेंट की लिमिट कम है, तो बाकी खर्च आपको अपनी जेब से देना होगा।

  • सब-लिमिट्स: कुछ ट्रीटमेंट्स (जैसे सर्जरी) पर लिमिट हो सकती है, जिससे पूरा खर्च कवर नहीं होता।

उदाहरण

नीचे दी गई टेबल में देखें कि रूम रेंट लिमिट के कारण कितना अतिरिक्त खर्च हो सकता है:


2025 में हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय इन 5 बड़ी गलतियों से बचें

नोट: अगर रूम रेंट लिमिट 5,000 रुपये है, तो बाकी राशि आपको अपनी जेब से देनी होगी।

क्या करें?

  • ऐसी पॉलिसी चुनें जिसमें को-पेमेंट या रूम रेंट लिमिट न हो।

  • अगर आप सिंगल प्राइवेट रूम चाहते हैं, तो पॉलिसी में यह सुनिश्चित करें।

  • अगर ट्विन शेयरिंग रूम या वार्ड में रहना ठीक है, तो लिमिट वाली पॉलिसी ले सकते हैं।

  • सब-लिमिट्स और रिस्ट्रिक्शंस को ध्यान से चेक करें।

5. इंडिविजुअल और फैमिली फ्लोटर पॉलिसी का अंतर न समझना

इंडिविजुअल पॉलिसी और फैमिली फ्लोटर पॉलिसी में अंतर को समझना बहुत जरूरी है। गलत पॉलिसी चुनने से आपकी जरूरतें पूरी नहीं होंगी।

क्यों है यह गलती?

  • इंडिविजुअल पॉलिसी सिंगल व्यक्ति के लिए ठीक है, लेकिन फैमिली के लिए महंगी पड़ सकती है।

  • फैमिली फ्लोटर में सम एश्योर्ड सभी सदस्यों के बीच बंटता है, जो गंभीर बीमारी के लिए कम पड़ सकता है।

  • पेरेंट्स की जरूरतें (जैसे डे-वन PED कवरेज) अलग हो सकती हैं, जिन्हें सामान्य फैमिली फ्लोटर में नजरअंदाज कर दिया जाता है।

  • एक ही पॉलिसी सभी के लिए सही नहीं हो सकती।

उदाहरण

अगर आपने 10 लाख की फैमिली फ्लोटर पॉलिसी ली और आपके पेरेंट्स को डायबिटीज की वजह से डे-वन कवरेज चाहिए, लेकिन पॉलिसी में यह नहीं है, तो उनका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

क्या करें?

  • अगर आप सिंगल हैं, तो इंडिविजुअल पॉलिसी लें।

  • फैमिली (2-3 लोग) के लिए फैमिली फ्लोटर चुनें, लेकिन सुनिश्चित करें कि सम एश्योर्ड पर्याप्त हो।

  • पेरेंट्स के लिए अलग पॉलिसी लें, जिसमें डे-वन PED कवरेज और कम डिडक्टेबल हो।

  • अपनी और परिवार की जरूरतों को ध्यान में रखकर माइंडफुल डिसीजन लें।



बोनस टिप: पॉलिसी लेने के बाद क्या करें?

हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बाद भी कुछ बातों का ध्यान रखें:

  • पॉलिसी बॉन्ड को सुरक्षित रखें और फैमिली मेंबर्स को इसके बारे में बताएं।

  • चेक करें कि प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज और लाइफस्टाइल हैबिट्स (जैसे स्मोकिंग) पॉलिसी में सही मेंशन हैं।

  • अगर पॉलिसी में कोई गलती है (जैसे गलत डेट या PED), तो तुरंत करेक्शन करवाएं।

  • अगर आपने पॉलिसी पोर्ट की है, तो डेट और डिटेल्स दोबारा चेक करें।

निष्कर्ष और कॉल-टू-एक्शन

हेल्थ इंश्योरेंस एक महत्वपूर्ण फाइनेंशियल डिसीजन है, जो आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इन 5 गलतियों से बचकर आप एक ऐसी पॉलिसी चुन सकते हैं, जो आपकी जरूरतों को पूरा करे। अभी अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की जांच करें और सुनिश्चित करें कि आपका सम एश्योर्ड, कवरेज, और PED डिस्क्लोजर सही है।

क्या आपने इनमें से कोई गलती की है? नीचे कमेंट में बताएं और दूसरों को जागरूक करें। अपनी जरूरतों के हिसाब से सही पॉलिसी चुनने के लिए ऑनलाइन लोन आवेदन या इंश्योरेंस पोर्टल्स पर अपनी पात्रता जांचें। अधिक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग्स पढ़ें!

SOURCE:- ONE HEALTH, POLICY BAZAAR

डिस्क्लेमर

यह ब्लॉग केवल सामान्य जानकारी के लिए है और इसे फाइनेंशियल सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें और पॉलिसी के टर्म्स एंड कंडीशन्स को ध्यान से पढ़ें।

ABOUT THE AUTHOR

Robin Singh is a personal finance enthusiast with 5 years of experience in stock markets, loans, and insurance. Through Robin Talks Finance, he shares practical tips to help Indians make informed financial decisions. His insights come from hands-on experience and research from trusted sources like SEBI and RBI. Disclaimer: This content is for informational purposes only, not financial advice. Contact: inquiryrobinsingh@gmail.com 

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