क्या आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आपकी सभी जरूरतों को पूरा करती है? अगर नहीं, तो HDFC ERGO के राइडर्स आपकी पॉलिसी को और बेहतर बनाने का एक शानदार तरीका हो सकते हैं। ये अतिरिक्त कवर आपकी विशिष्ट जरूरतों, जैसे पुरानी बीमारियों, मैटरनिटी, या असीमित हॉस्पिटलाइजेशन, को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इस ब्लॉग में, हम तीन खास राइडर्स—लिमिटलेस राइडर, एबीसीडी क्रॉनिक केयर राइडर, और पेरेंटहुड राइडर—के बारे में विस्तार से बात करेंगे। हम आपको बताएंगे कि ये राइडर्स क्या हैं, कैसे काम करते हैं, और इन्हें HDFC ERGO की ऑप्टिमा सिक्योर, ऑप्टिमा रिस्टोर, और ईजी हेल्थ पॉलिसीज़ में कैसे जोड़ा जा सकता है। साथ ही, एक आसान तुलना तालिका और उदाहरणों के जरिए समझाएंगे कि ये आपके फाइनेंस हेल्थ को कैसे बेहतर बना
सकते हैं।
हेल्थ इंश्योरेंस राइडर क्या है?
राइडर एक अतिरिक्त कवर है, जिसे आप अपनी मौजूदा HDFC ERGO हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में जोड़ सकते हैं। यह आपकी पॉलिसी को कस्टमाइज़ करने का तरीका है, ताकि आपकी खास जरूरतें पूरी हो सकें। उदाहरण के लिए, अगर आपको डायबिटीज, अस्थमा, या मैटरनिटी से संबंधित खर्चों का कवर चाहिए, तो राइडर आपकी पॉलिसी को और उपयोगी बना सकता है।
प्रमुख शब्दावली:
सम इंश्योर्ड: वह राशि जो आपकी पॉलिसी कवर करती है, जैसे 10 लाख या 50 लाख।
इनमिटी बेसिस: हॉस्पिटल के बिल का भुगतान सीधे इंश्योरेंस कंपनी द्वारा किया जाता है।
डिडक्टिबल: वह राशि जो आपको अपनी जेब से देनी होती है, इससे पहले कि इंश्योरेंस कवर शुरू हो।
वेटिंग पीरियड: वह समयावधि जिसके बाद आप क्लेम कर सकते हैं, जैसे 30 दिन, 2 साल, या 3 साल।
प्री-एक्सिस्टिंग डिज़ीज़ (PED): कोई भी बीमारी जो पॉलिसी लेने से पहले थी, जैसे डायबिटीज या बीपी।
फैमिली फ्लोटर: एक पॉलिसी जो पूरे परिवार को कवर करती है।
इंडिविजुअल पॉलिसी: केवल एक व्यक्ति के लिए कवर।
तीन खास राइडर्स: पूरी जानकारी
आइए, HDFC ERGO के तीन प्रमुख राइडर्स—लिमिटलेस, एबीसीडी क्रॉनिक केयर, और पेरेंटहुड—के बारे में विस्तार से जानें। ये राइडर्स ऑप्टिमा सिक्योर, ऑप्टिमा रिस्टोर, और कुछ मामलों में ईजी हेल्थ पॉलिसीज़ के साथ उपलब्ध हैं।
1. लिमिटलेस राइडर: बिना किसी सीमा के कवरेज
लिमिटलेस राइडर उन लोगों के लिए है जो अपने HDFC ERGO हेल्थ इंश्योरेंस में असीमित कवरेज चाहते हैं। यह राइडर आपके बेस सम इंश्योर्ड (जैसे 10 लाख, 15 लाख, 20 लाख, या 50 लाख) से ऊपर अतिरिक्त कवर देता है।
यह कैसे काम करता है?
इनमिटी बेसिस: हॉस्पिटल का बिल सीधे सेटल होता है, न कि फिक्स्ड बेनिफिट।
अगर आपकी पॉलिसी 10 लाख की है और हॉस्पिटल का बिल 1 करोड़ आता है, तो लिमिटलेस राइडर बाकी राशि को कवर कर सकता है।
वेटिंग पीरियड:
30 दिन: इनिशियल वेटिंग पीरियड।
2 साल: स्पेसिफिक एक्सक्लूजन वेटिंग पीरियड।
3 साल: प्री-एक्सिस्टिंग डिज़ीज़ (PED) वेटिंग पीरियड।
उपलब्धता:
ऑप्टिमा सिक्योर और ऑप्टिमा रिस्टोर पॉलिसीज़ में।
नई पॉलिसी लेते समय या रिन्यूअल पर जोड़ा जा सकता है।
मिड-टर्म में जोड़ा या हटाया नहीं जा सकता।
ऑप्ट-आउट नियम: रिन्यूअल पर हटाया जा सकता है, लेकिन एक बार हटाने के बाद दोबारा जोड़ा नहीं जा सकता।
ज्योग्राफिक लिमिट: केवल भारत में लागू।
क्लेम लिमिट:
अगर सम इंश्योर्ड 10 लाख से 50 लाख के बीच है, तो लाइफटाइम में एक क्लेम।
अगर सम इंश्योर्ड 50 लाख से ज्यादा है, तो दो क्लेम तक।
उदाहरण:
रमेश की ऑप्टिमा सिक्योर पॉलिसी 10 लाख की है, जिसमें लिमिटलेस राइडर जोड़ा गया है। दूसरे साल में उनका हॉस्पिटल बिल 90 लाख आता है, जिसमें 15 लाख एयर एम्बुलेंस का खर्च है। पॉलिसी में 1 लाख का डिडक्टिबल है।
कुल बिल: 90 लाख - 1 लाख (डिडक्टिबल) = 89 लाख।
एयर एम्बुलेंस लिमिट: पॉलिसी में 5 लाख तक कवर, इसलिए 15 लाख में से 10 लाख माइनस।
कंपनी की देनदारी: 89 लाख - 10 लाख = 79 लाख।
बेस कवर:
10 लाख (बेस सम इंश्योर्ड)।
10 लाख (सिक्योर बेनिफिट, क्योंकि ऑप्टिमा सिक्योर में 2x कवर मिलता है)।
5 लाख (प्लस बेनिफिट, क्योंकि दूसरा साल है)।
5 लाख (एयर एम्बुलेंस)।
कुल: 30 लाख।
लिमिटलेस राइडर: बाकी 49 लाख (79 लाख - 30 लाख) कवर करता है।
इस तरह, रमेश को अपनी जेब से कुछ नहीं देना पड़ा।
प्रीमियम:
लिमिटलेस राइडर का प्रीमियम आपकी उम्र, सम इंश्योर्ड, और पॉलिसी के आधार पर अलग-अलग होता है।
2. एबीसीडी क्रॉनिक केयर राइडर: पुरानी बीमारियों के लिए कवर
एबीसीडी क्रॉनिक केयर राइडर उन लोगों के लिए है, जिन्हें अस्थमा (A), ब्लड प्रेशर (BP), कोलेस्ट्रॉल (C), या डायबिटीज (D) जैसी पुरानी बीमारियां हैं। यह राइडर इन बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड को कम करता है।
यह कैसे काम करता है?
31वें दिन से कवरेज: सामान्य रूप से प्री-एक्सिस्टिंग डिज़ीज़ के लिए 3 साल का वेटिंग पीरियड होता है, लेकिन इस राइडर के साथ यह केवल 30 दिन का रह जाता है।
मेंबर-लेवल सिलेक्शन: परिवार के किसी एक सदस्य के लिए राइडर चुन सकते हैं, पूरी फैमिली फ्लोटर पर लागू करना जरूरी नहीं।
इनमिटी बेसिस: हॉस्पिटल बिल में ही सेटलमेंट।
उपलब्धता:
ऑप्टिमा सिक्योर, ऑप्टिमा रिस्टोर, और ईजी हेल्थ पॉलिसीज़ में।
नई पॉलिसी या रिन्यूअल पर जोड़ा जा सकता है।
ऑप्ट-आउट नियम: एक बार जोड़ने के बाद हटाया नहीं जा सकता, और यह पॉलिसी की पूरी अवधि तक चलता है।
नोट: अन्य प्री-एक्सिस्टिंग बीमारियों (जैसे एपिलेप्सी) के लिए 3 साल का वेटिंग पीरियड लागू रहेगा।
उदाहरण:
सीमा को डायबिटीज और एपिलेप्सी है। उन्होंने ऑप्टिमा सिक्योर पॉलिसी में एबीसीडी राइडर लिया और डायबिटीज को चुना। 30 दिन बाद डायबिटीज से संबंधित हॉस्पिटलाइजेशन का बिल कवर हो गया, लेकिन एपिलेप्सी का बिल 3 साल के वेटिंग पीरियड के कारण कवर नहीं हुआ।
प्रीमियम:
इस राइडर के लिए अतिरिक्त प्रीमियम देना होता है, जो आपकी उम्र, चुनी गई बीमारी, और पॉलिसी पर निर्भर करता है।
3. पेरेंटहुड राइडर: माता-पिता बनने की खुशी को कवर करें
पेरेंटहुड राइडर उन दंपतियों के लिए है, जो माता-पिता बनने की योजना बना रहे हैं। यह मैटरनिटी और संबंधित खर्चों को कवर करता है।
यह कैसे काम करता है?
कवरेज:
डिलीवरी कॉस्ट।
प्री-नेटल मेडिकल खर्च (हॉस्पिटल जाने से पहले के खर्च)।
पोस्ट-नेटल मेडिकल खर्च (डिलीवरी के बाद के खर्च)।
IVF (इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन) और एम्ब्रॉयड फ्रीज़िंग।
सम इंश्योर्ड: 50,000, 1.5 लाख, या 2 लाख तक।
वेटिंग पीरियड: 2 साल।
पेआउट: इनमिटी बेसिस (हॉस्पिटल बिल में सेटल)।
उपलब्धता:
ऑप्टिमा सिक्योर और ऑप्टिमा रिस्टोर (नोट: ऑप्टिमा लाइट पर उपलब्ध नहीं)।
नई पॉलिसी या रिन्यूअल पर जोड़ा जा सकता है।
ऑप्ट-आउट नियम: रिन्यूअल पर हटाया जा सकता है, लेकिन हटाने के बाद दोबारा जोड़ा नहीं जा सकता।
ज्योग्राफिक लिमिट: केवल भारत में लागू।
नोट: पूरी पॉलिसी पर लागू होता है, न कि किसी एक सदस्य पर। अधिकतम दो डिलीवरी तक कवर।
उदाहरण:
अंजलि और रोहन ने ऑप्टिमा सिक्योर पॉलिसी (10 लाख) ली और पेरेंटहुड राइडर (1.5 लाख) जोड़ा। 2 साल बाद उनकी डिलीवरी का खर्च 1.5 लाख तक कवर हुआ। उनकी बेस पॉलिसी (10 लाख) पर कोई असर नहीं पड़ा, और वे भविष्य में अन्य क्लेम के लिए इसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रीमियम:
पेरेंटहुड राइडर का प्रीमियम सम इंश्योर्ड, उम्र, और पॉलिसी के आधार पर तय होता है।
राइडर चुनते समय ध्यान रखें
राइडर चुनना एक महत्वपूर्ण फैसला है। इसे चुनने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
अपनी जरूरतें समझें: अगर आपको पुरानी बीमारी (जैसे डायबिटीज) है, तो एबीसीडी राइडर चुनें। माता-पिता बनने की योजना है, तो पेरेंटहुड राइडर लें। बड़े हॉस्पिटल बिल से सुरक्षा चाहिए, तो लिमिटलेस राइडर बेस्ट है।
जोड़ने का समय: राइडर को नई पॉलिसी लेते समय या रिन्यूअल पर जोड़ा जा सकता है। मिड-टर्म में नहीं।
ऑप्ट-आउट नियम:
लिमिटलेस और पेरेंटहुड: रिन्यूअल पर हटाया जा सकता है, लेकिन हटाने के बाद दोबारा जोड़ा नहीं जा सकता।
एबीसीडी: एक बार जोड़ा तो पॉलिसी की पूरी अवधि तक रहता है।
प्रीमियम का ध्यान रखें: राइडर जोड़ने से प्रीमियम बढ़ेगा, इसलिए अपने बजट का आकलन करें।
वेटिंग पीरियड: हर राइडर के अपने वेटिंग पीरियड होते हैं, जो आपको पूरा करना होगा।
ज्योग्राफिक लिमिट: सभी राइडर्स केवल भारत में लागू हैं।
क्यों चुनें HDFC ERGO के राइडर्स?
HDFC ERGO के राइडर्स आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को लचीला और आपकी विशेष जरूरतों के अनुकूल बनाते हैं। ये न केवल आपके फाइनेंस हेल्थ को सुरक्षित रखते हैं, बल्कि आपको मानसिक शांति भी देते हैं। उदाहरण के लिए:
लिमिटलेस राइडर बड़े हॉस्पिटल बिल से बचाता है।
एबीसीडी राइडर पुरानी बीमारियों के इलाज को आसान बनाता है।
पेरेंटहुड राइडर माता-पिता बनने की खुशी को और खास बनाता है।
अपनी पॉलिसी की जांच करें
क्या आपकी मौजूदा HDFC ERGO की ऑप्टिमा सिक्योर, ऑप्टिमा रिस्टोर, या ईजी हेल्थ पॉलिसी में ये राइडर्स हैं? अगर नहीं, तो अगले रिन्यूअल पर इन्हें जोड़ने पर विचार करें। अपनी जरूरतों और बजट के हिसाब से सही राइडर चुनें। अगर आपको समझने में मदद चाहिए, तो HDFC ERGO की वेबसाइट (hdfcergo.com) पर जाएं या किसी भरोसेमंद इंश्योरेंस सलाहकार से संपर्क करें। अपनी पॉलिसी की जानकारी ऑनलाइन चेक करें और सही कवर चुनें।
SOURCE:- HDFC ERGO HEALTH INSURANCE
डिस्क्लेमर
यह ब्लॉग केवल सामान्य जानकारी के लिए है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। HDFC ERGO हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी या राइडर चुनने से पहले, अपनी जरूरतों और वित्तीय स्थिति का आकलन करें। किसी भी फैसले से पहले इंश्योरेंस कंपनी के नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें और किसी प्रोफेशनल सलाहकार से संपर्क करें।
ABOUT THE AUTHOR
Robin Singh is a personal finance enthusiast with 5 years of experience in stock markets, loans, and insurance. Through Robin Talks Finance, he shares practical tips to help Indians make informed financial decisions. His insights come from hands-on experience and research from trusted sources like SEBI and RBI. Disclaimer: This content is for informational purposes only, not financial advice. Contact: inquiryrobinsingh@gmail.com
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