रिटायरमेंट की प्लानिंग हर किसी के लिए जरूरी है, खासकर अगर आप सेंट्रल गवर्नमेंट कर्मचारी हैं। 30 जून 2025 तक आपको यह फैसला लेना है कि नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में रहना है या यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में स्विच करना है। दोनों स्कीम्स अपने-अपने फायदे और नुकसान के साथ आती हैं, लेकिन आपके लिए कौन सी बेहतर है? इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे NPS vs UPS: Which Pension Scheme is Better in 2025? और एनपीएस और यूपीएस की पूरी तुलना करेंगे, जिसमें उनके फीचर्स, गणना, और आपके नेचर के हिसाब से सही स्कीम चुनने की जानकारी शामिल है।
NPS (एनपीएस) और UPS (यूपीएस क्या हैं?)
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)
एनपीएस एक मार्केट-लिंक्ड पेंशन स्कीम है, जो 2004 में शुरू हुई थी। शुरुआत में यह सिर्फ गवर्नमेंट कर्मचारियों के लिए थी, लेकिन 2009 से प्राइवेट सेक्टर और आम जनता के लिए भी उपलब्ध है। यह डिफाइंड कंट्रीब्यूशन प्लान है, यानी आप कितना निवेश करते हैं, यह तय है, लेकिन रिटर्न मार्केट के प्रदर्शन पर निर्भर करता है।
कंट्रीब्यूशन: कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का 10% निवेश करता है, और सरकार 14% जोड़ती है।
निवेश विकल्प: आप अपने पैसे को इक्विटी, गवर्नमेंट बॉन्ड्स, या मिक्स्ड फंड्स में निवेश कर सकते हैं।
रिटायरमेंट बेनिफिट्स: रिटायरमेंट पर 60% तक का कॉर्पस टैक्स-फे लम्सम निकाला जा सकता है। बाकी 40% से एन्युटी खरीदनी पड़ती है, जो मासिक पेंशन देती है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)
यूपीएस 1 अप्रैल 2025 से शुरू हो रही है और यह केवल सेंट्रल गवर्नमेंट कर्मचारियों के लिए है। यह डिफाइंड कंट्रीब्यूशन और डिफाइंड बेनिफिट का मिश्रण है। यानी आपका निवेश और रिटर्न दोनों तय होते हैं।
कंट्रीब्यूशन: कर्मचारी 10% और सरकार 18.5% निवेश करती है।
बेनिफिट्स: रिटायरमेंट पर आपकी बेसिक सैलरी और DA का 50% मासिक पेंशन के रूप में मिलता है। साथ ही, एक लम्सम अमाउंट भी मिलता है।
खास बात: पेंशन इनफ्लेशन-एडजस्टेड है और आपके जीवनसाथी को आपके बाद 60% पेंशन मिलती है।
एनपीएस और यूपीएस की तुलना: गणना के साथ
आइए, एक उदाहरण से समझते हैं कि दोनों स्कीम्स में आपको कितना रिटर्न मिल सकता है। मान लीजिए, एक कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹20,000 है, DA 55% (₹11,000), और वह 2015 में 25 साल की उम्र में जॉइन करता है। वह 35 साल की सर्विस के बाद 2050 में रिटायर होगा। औसतन 6% वार्षिक वेतन वृद्धि मानते हैं।
एनपीएस में रिटर्न
कंट्रीब्यूशन: कर्मचारी का 10% (₹44,31,296) + सरकार का 14% (₹61,96,814) = कुल ₹1,06,28,110।
कॉर्पस (10% रिटर्न मानकर): रिटायरमेंट पर ₹5,14,46,300।
लम्सम (60%): ₹3,08,67,780 (टैक्स-फ्री)। अगर इसे 6% की FD में निवेश करें, तो मासिक ब्याज ₹1,54,339।
एन्युटी (40%): ₹2,05,78,520। 7% रिटर्न पर मासिक ₹1,20,135।
कुल मासिक पेंशन: ₹2,74,474।
यूपीएस में रिटर्न
कंट्रीब्यूशन: कर्मचारी का 10% (₹44,31,296) + सरकार का 18.5% (₹82,07,897) = कुल ₹1,26,39,193।
लम्सम: बेसिक + DA (₹2,38,260) का 10वां हिस्सा × सर्विस के साल × 2 = ₹16,78,820। इसे 6% FD में डालने पर मासिक ब्याज ₹8,339।
पेंशन: बेसिक + DA का 50% = ₹1,19,135।
कुल मासिक पेंशन: ₹1,27,474।
एनपीएस के फायदे और नुकसान
फायदे
मार्केट-लिंक्ड रिटर्न: लंबी अवधि में 10-12% तक रिटर्न की संभावना।
लम्सम अमाउंट: रिटायरमेंट पर 60% टैक्स-फ्री कॉर्पस।
निवेश लचीलापन: 75% तक इक्विटी में निवेश का विकल्प।
पोर्टेबिलिटी: प्राइवेट जॉब या बिजनेस में शिफ्ट करने पर कॉर्पस बरकरार रहता है।
टैक्स बेनिफिट: न्यू टैक्स रिजीम में भी उपलब्ध।
विरासत: एन्युटी का कॉर्पस आपके बच्चों को मिल सकता है।
नुकसान
मार्केट रिस्क: रिटर्न की कोई गारंटी नहीं।
इनफ्लेशन एडजस्टमेंट नहीं: पेंशन फिक्स्ड रहती है।
स्पाउस बेनिफिट नहीं: आपके बाद पेंशन बंद हो जाती है।
मैनेजमेंट की जरूरत: निवेश और रिटायरमेंट कॉर्पस को मैनेज करना पड़ता है।
यूपीएस के फायदे और नुकसान
फायदे
गारंटीड पेंशन: रिटायरमेंट पर बेसिक + DA का 50% पेंशन।
इनफ्लेशन-एडजस्टेड: DA बढ़ने के साथ पेंशन बढ़ती है।
स्पाउस बेनिफिट: आपके बाद जीवनसाथी को 60% पेंशन।
मिनिमम पेंशन: कम-से-कम ₹10,000 पेंशन की गारंटी।
कम रिस्क: मार्केट पर निर्भरता नहीं।
नुकसान
कम लम्सम: एनपीएस की तुलना में बहुत कम लम्सम अमाउंट।
टैक्स बेनिफिट अस्पष्ट: अभी क्लियर नहीं।
10 साल की शर्त: 10 साल से कम सर्विस पर कोई बेनिफिट नहीं।
कम इक्विटी एक्सपोजर: अधिकतम 50% इक्विटी निवेश।
पोर्टेबिलिटी नहीं: प्राइवेट जॉब में शिफ्ट करने पर कॉर्पस खत्म।
आपके लिए कौन सी स्कीम बेहतर है?
आपके लिए सही स्कीम आपकी फाइनेंशियल नॉलेज, जोखिम लेने की क्षमता, और करियर प्लान्स पर निर्भर करती है।
एनपीएस किसके लिए सही है?
अगर आपको मार्केट निवेश में रुचि है और आप रिटायरमेंट कॉर्पस को मैनेज कर सकते हैं।
अगर आप प्राइवेट जॉब या बिजनेस शुरू करने का सोच रहे हैं।
अगर आप टैक्स बेनिफिट्स का फायदा उठाना चाहते हैं।
अगर आप बड़ा लम्सम चाहते हैं, जिसे FD या अन्य निवेश में डाल सकें।
उदाहरण: मान लीजिए, राजेश एक गवर्नमेंट कर्मचारी हैं और उन्हें स्टॉक मार्केट की अच्छी समझ है। वह NPS में निवेश करते हैं और 75% इक्विटी में डालते हैं। रिटायरमेंट पर उन्हें ₹3 करोड़ का लम्सम मिलता है, जिसे वह FD और म्यूचुअल फंड्स में डालकर मासिक ₹2.5 लाख की आय जनरेट करते हैं।
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यूपीएस किसके लिए सही है?
अगर आपको निवेश की जानकारी नहीं है या जोखिम लेना पसंद नहीं।
अगर आप लंबे समय तक गवर्नमेंट जॉब में रहना चाहते हैं।
अगर आप अपने जीवनसाथी के लिए रिटायरमेंट के बाद सिक्योरिटी चाहते हैं।
अगर आपको गारंटीड और इनफ्लेशन-एडजस्टेड पेंशन चाहिए।
उदाहरण: शीला एक गवर्नमेंट टीचर हैं और उन्हें मार्केट निवेश से डर लगता है। वह UPS चुनती हैं। रिटायरमेंट पर उन्हें ₹1.2 लाख मासिक पेंशन मिलती है, जो हर साल DA बढ़ने के साथ बढ़ती है। उनके पति को उनके बाद 60% पेंशन मिलती है।
कैसे करें फैसला?
अपनी जोखिम क्षमता जांचें: क्या आप मार्केट के उतार-चढ़ाव को सहन कर सकते हैं?
करियर प्लान्स देखें: क्या आप गवर्नमेंट जॉब में लंबे समय तक रहेंगे?
पारिवारिक जरूरतें: क्या आपके जीवनसाथी के लिए पेंशन जरूरी है?
फाइनेंशियल नॉलेज: क्या आप रिटायरमेंट कॉर्पस को मैनेज कर सकते हैं?
निष्कर्ष और अगला कदम
एनपीएस और यूपीएस दोनों ही शानदार स्कीम्स हैं, लेकिन आपकी जरूरतों और नेचर के हिसाब से सही स्कीम चुनना जरूरी है। अगर आप बड़ा लम्सम और टैक्स बेनिफिट्स चाहते हैं, तो एनपीएस आपके लिए बेहतर हो सकता है। वहीं, अगर आपको गारंटीड पेंशन और स्पाउस सिक्योरिटी चाहिए, तो यूपीएस सही रहेगा।
अपने फाइनेंस हेल्थ को और मजबूत करने के लिए आज ही अपनी पेंशन स्कीम का विश्लेषण करें। अपने HR डिपार्टमेंट से बात करें, कैलकुलेटर का इस्तेमाल करें, और 30 जून 2025 से पहले फैसला लें। अधिक जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग पर पर्सनल फाइनेंस और रिटायरमेंट प्लानिंग से जुड़े आर्टिकल्स पढ़ें।
Source:- Times Of India
NPS vs UPS: Which Pension Scheme is Better in 2025? (FAQs)
प्रश्न 1: एनपीएस और यूपीएस क्या हैं?
उत्तर 1: नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) एक मार्केट-लिंक्ड पेंशन स्कीम है जिसमें कर्मचारी और सरकार योगदान करते हैं, जबकि यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) एक गारंटीड पेंशन स्कीम है जिसमें कर्मचारी और सरकार अधिक योगदान करते हैं और मासिक पेंशन निश्चित होती है।
प्रश्न 2: एनपीएस और यूपीएस में कंट्रीब्यूशन का अंतर क्या है?
उत्तर 2: एनपीएस में कर्मचारी 10% और सरकार 14% कंट्रीब्यूट करती है, जबकि यूपीएस में कर्मचारी 10% और सरकार 18.5% योगदान करती है।
प्रश्न 3: रिटायरमेंट पर दोनों स्कीमों में मिलने वाले बेनिफिट्स कैसे अलग हैं?
उत्तर 3: एनपीएस में रिटायरमेंट पर 60% लम्सम और 40% मासिक एन्युटी मिलती है, जबकि यूपीएस में बेसिक सैलरी और DA का 50% पेंशन मासिक मिलती है साथ ही एक लम्सम अमाउंट भी मिलता है।
प्रश्न 4: कौन से कर्मचारी यूपीएस में स्विच कर सकते हैं और अंतिम तिथि क्या है?
उत्तर 4: केवल सेंट्रल गवर्नमेंट कर्मचारी यूपीएस में स्विच कर सकते हैं और इस विकल्प का अंतिम दिन 30 जून 2025 है।
प्रश्न 5: एनपीएस के लाभ और उसके जोखिम क्या हैं?
उत्तर 5: एनपीएस में मार्केट-लिंक्ड उच्च रिटर्न और लम्सम अमाउंट मिलते हैं, लेकिन इसमें मार्केट रिस्क और पेंशन का फिक्स्ड न होना नुकसान हैं।
प्रश्न 6: यूपीएस के फायदे और सीमाएं क्या हैं?
उत्तर 6: यूपीएस में गारंटीड और इनफ्लेशन-एडजस्टेड पेंशन, जीवनसाथी को पेंशन सुरक्षा मिलती है, लेकिन लम्सम कम होता है और पोर्टेबिलिटी नहीं होती।
प्रश्न 7: किस आधार पर मुझे एनपीएस या यूपीएस चुन्ना चाहिए?
उत्तर 7: अगर आप निवेश-ज्ञान रखते हैं, जोखिम ले सकते हैं, और बड़ा लम्सम चाहते हैं तो एनपीएस बेहतर है। अगर आप गारंटीड पेंशन, फ्लेक्सिबिलिटी कम जोखिम पसंद करते हैं और जीवनसाथी की सुरक्षा जरूरी है तो यूपीएस उपयुक्त है।
📝 NPS vs UPS: Which Pension Scheme is Better in 2025 QUIZ
Q. नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में कर्मचारी और सरकार द्वारा कुल कितनी प्रतिशत राशि निवेश की जाती है?
Q. यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के तहत कर्मचारी और सरकार कुल कितना निवेश करती हैं?
Q. NPS और UPS में से कौन-सी स्कीम मार्केट-लिंक्ड निवेश विकल्प प्रदान करती है?
Q. UPS स्कीम में रिटायरमेंट के बाद जीवनसाथी को मिलने वाली पेंशन का प्रतिशत क्या है?
Q. NPS की कौन-सी खास बात है?
Q. UPS में रिटायरमेंट के बाद मिनिमम पेंशन का निर्धारण क्या है?
Q. NPS और UPS में कौन-सी स्कीम में पोर्टेबिलिटी यानी नौकरी बदलने पर कॉर्पस बना रहता है?
Q. UPS स्कीम के लिए न्यूनतम सेवा अवधि क्या है ताकि कर्मचारी पेंशन का लाभ ले सके?
Q. NPS के कौन-से फायदे हैं?
Q. UPS किस प्रकार के कर्मचारियों के लिए बेहतर विकल्प माना जाता है?
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग केवल जानकारी के उद्देश्य से है और इसे फाइनेंशियल सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी निवेश या पेंशन स्कीम चुनने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें। Robin Talks Finance किसी भी निवेश के नुकसान की जिम्मेदारी नहीं लेता।
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Robin Singh is a personal finance enthusiast with 5 years of experience in stock markets, loans, and insurance. Through Robin Talks Finance, he shares practical tips to help Indians make informed financial decisions. His insights come from hands-on experience and research from trusted sources like SEBI and RBI. Disclaimer: This content is for informational purposes only, not financial advice. Contact: inquiryrobinsingh@gmail.com
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